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शुक्रवार, 14 सितंबर 2018

हिंदी दिवस

हिंदी दिवस की सभी को अनंत शुभकामनाएँ। आज इस हिंदी दिवस के पावन पर्व पर, शुभम कुछ कहना चाहता है---
मैं कई दिन से इसी उधेड़बुन में था कि कोई कविता लिखी जाए हिंदी दिवस पर तो मैंने एक कविता लिखी जो कि अभी पूर्ण नही है पर आज मुझे उसे  संपादित करना ही पड़ेगा।

जब जागा प्रथम अवनि पर,
जब कर्णपटल पर स्पन्दन आएँ।
सोचा कुछ अभिव्यक्ति करूँ,
पर मुख से केवल क्रंदन आएँ।

मेरी अकुलाहट देखकर ,
मन हुआ तेरा विह्वल।
 तब उसका संहार कर,
तूने श्रवण-कथन का ज्ञान दिया।

देख तेरा प्रेम यह,
दृगों से झरे स्नेह जल,
तब से तुम्हें हे माता!
मैनें निज माता सा मान दिया।

©शुभम कहता है...


कविता के साथ-साथ आपसे अनुरोध है कि जिस हिंदी माता ने हमें ज़बान दिया हुआ है, उसकी महत्ता हम बनाएं रखें, स्वयं हिंदी के अच्छे विद्यार्थी बनें आपको मालूम होगा कि हम सभी जनगणना में हिन्दीभाषी लोगों में गिने जाते हैं और हम ही हिंदी के बारें में जानने में सकुचाते हैं इसे पढ़कर क्या होगा। हिंदी भाषा हम सभी की जननी है , अगर हम उनकी संतान होकर ऐसा करेंगे तो किसी भी भाषा के लिए इससे अशोभनीय कुछ नहीं हो सकता।

                       ÷विचार अवश्य कीजियेगा÷

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