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बुधवार, 19 जून 2019

इक गली थी मेरे भी वास्ते इस जहां में...

इक गली थी मेरे भी वास्ते इस जहां में
गली ऐसी की जहाँ मेरी गली ही नहीं
एक लड़की जो इसी जाये रहा करती थी,
बदचलन थी, यानी की वो मुझे मिली ही नहीं

©शुभम कहता है...


राधे-राधे!

रश्मि-राग

जग की प्रेम निशानी हो तुम राधिके कान्हा की ही दीवानी हो तुम राधिके      जिनमें घुल के कन्हैया भी उज्जवल हुए ऐसी यमुना का पानी हो तुम...