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सोमवार, 27 अप्रैल 2020

वे नहीं खायेंगे

मेरी छत पर
जाओगे तो देखोगे
बहुत दूर तक हैं
खेत ही खेत
घर के पीछे

जहाँ कुछ हफ़्ते
पहले तक थी
गेहूँ की सुनहली फसल
जो कि अब कट
चुकी है
खेत हों चुके हैं
बिल्कुल सफाचट

उन खेतों में
सुबह-शाम
दीख जाते हैं
इक्के-दुक्के चरवाहे
अपने चौपायों के साथ

जबकि दोपहर में
दीखते हैं सूरज को
ठेंगा दिखाते
चार-चार
पाँच-पाँच की गोल
बनाए मुसहरों के बच्चे

बीनते हुए गिरीं हुईं
गेहूँ की बालियाँ
क्योंकि उन्होंने ठाना है कि
वे नहीं खायेंगे
चुन्नी और चोकर की रोटियाँ
अगले कुछ दिनों तक

©शुभम यादव


                        PC: Navbharat Times

शनिवार, 25 अप्रैल 2020

उस किसान की आँखें

जब
बसंत के स्वागत में 
हवा सरपट 
दौड़ लगाती है 
हरी-खड़ी 
गेहूँ की फसलों
के माथे पर
और उसका साथ 
देते हुए

हँसते
गाते
खिलखिलाते
लहलहा
उठती है
खेत में खड़ी 
जवान फसल 

तब 
चमक उठतींं हैं 
उस किसान की आँखें
घिरे काले 
बादलों-सी

और
उनसे 
चूँ जाता है
कुछ पानी 
आसमानी!

©शुभम कहता है...


                              
                             PC : Visuals stock

कवि त्रिलोचन को समर्पित

जब
नहीं आया
तुम्हारी तरफ़ से
एक भी जवाब
मेरे भेजे गए
मेसेजस् का

एकाएक
खड़े हो गए
मेरे सामने
बूढ़े त्रिलोचन
और कहने लगे
आज भी
'चम्पा काले काले अक्षर नहीं चीन्हती'

©शुभम कहता है...


PC: awadh.org


ताज़ी कविता

सबसे मुश्किल
पचा पाना है

नवजात
प्रेम

और

लिखी
ताज़ी 
कविता!

©शुभम कहता है...



कच्ची कविताएँ

कच्ची कविताएँ

मुझे मेरी लिखीं 
कविताएँ 
बहुत ही पसंद हैं 
क्योंकि 
वे 
कच्ची हैं!
खट्टी हैं!
बिल्कुल 
कच्चे आम की तरह

और

अब मैं 
ढ़ेला मारूँगा 
आम के उस पेड़ पर 
खा जाऊँगा 
सारे के सारे कच्चे आम 
नमक के साथ 
फिर लिखूँगा 
ऐसी ही असंख्य 
कच्ची कविताएँ

©शुभम कहता है...



PC : Insta/bhu_girl

शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020

रंग


रंग

प्रेम में डूबी हुई
स्त्री के चेहरे पर
पुरुष की आत्मा का प्रतिबिम्ब
उसके गेहुँए वर्ण को
गौर कर देता है

 
        
जबकि         
       


प्रेम में डूबे हुए पुरुष का
यह जान लेना कि
स्त्री किसी और से भी प्रेम करती है
उसके साँवले रंग को
गहरा काला कर देता है

©शुभम कहता है...

     

   

1st PIC Source: Pexels.com
2nd PIC Source: Unsplash

किसान

किसान

किसान
सृष्टि का
सर्वश्रेष्ठ कवि है

उसने गेहूँ की बालियों में
सोने की कल्पना की

लेकिन वो सोना इतने
सस्ते दाम पर बिका

कि उसने
अपनी कविताओं की
पाण्डुलिपियों को
गोबर के घूरे में
सड़कर खाद
बन जाने दिया

और लिखता रहा
दूसरों का पेट भरने वाली
मौसमी कविताएँ
अन्य फसलों के साथ

©शुभम कहता है...

                           
Pic Source : businesstoday.in

गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

लघुकविता- कवि मैक्सवेल है

कवि मैक्सवेल है

एक कविता 
लिख लेने
के ठीक बाद 
कवि लिखता है
दो और कविताएँ

बिल्कुल वैसे ही
जैसे मैक्सवेल लगाता है 
दो और छक्के
दनादन!
पहले छक्के के ठीक बाद

©शुभम कहता है... 



PC: gettyimages

राधे-राधे!

रश्मि-राग

जग की प्रेम निशानी हो तुम राधिके कान्हा की ही दीवानी हो तुम राधिके      जिनमें घुल के कन्हैया भी उज्जवल हुए ऐसी यमुना का पानी हो तुम...