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शनिवार, 25 अप्रैल 2020

उस किसान की आँखें

जब
बसंत के स्वागत में 
हवा सरपट 
दौड़ लगाती है 
हरी-खड़ी 
गेहूँ की फसलों
के माथे पर
और उसका साथ 
देते हुए

हँसते
गाते
खिलखिलाते
लहलहा
उठती है
खेत में खड़ी 
जवान फसल 

तब 
चमक उठतींं हैं 
उस किसान की आँखें
घिरे काले 
बादलों-सी

और
उनसे 
चूँ जाता है
कुछ पानी 
आसमानी!

©शुभम कहता है...


                              
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4 टिप्‍पणियां:

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