अलसायी आँखो को खोलकर ,
कर -बंधनों को तोड़कर
रवि की प्रथम 'रश्मि' से नष्ट हुए
उन तुहिन कणों के कोमल गात पर
अपना सौभाग्य लिखता हूँ।
मैं कवि हूँ
अपना काव्य लिखता हूँ।
©शुभम कहता है...
प्रथम रचना ब्लॉग पर प्रकाशित
जवाब देंहटाएंअब ना ही तुम्हारा कोई आलस, ना ही कोई भी गुण नष्ठ दिखता है।
जवाब देंहटाएंऐ कवि, अब तुम्हारे काव्यों से ही तुममें लोपित प्रत्येक गुण दिखता है।।
अब ना ही तुम्हारा कोई आलस, ना ही कोई भी गुण नष्ठ दिखता है।
जवाब देंहटाएंऐ कवि, अब तुम्हारे काव्यों से ही तुममें लोपित प्रत्येक गुण दिखता है।।