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सोमवार, 27 अगस्त 2018

मैं कवि हूँ अपना काव्य लिखता हूँ

अलसायी आँखो को खोलकर ,
                             कर -बंधनों को तोड़कर
रवि की प्रथम 'रश्मि' से नष्ट हुए
                               उन तुहिन कणों के कोमल गात पर
अपना सौभाग्य लिखता हूँ।
                              
मैं कवि हूँ
                 अपना काव्य लिखता हूँ।
 
                    ©शुभम कहता है...

3 टिप्‍पणियां:

  1. प्रथम रचना ब्लॉग पर प्रकाशित

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  2. अब ना ही तुम्हारा कोई आलस, ना ही कोई भी गुण नष्ठ दिखता है।
    ऐ कवि, अब तुम्हारे काव्यों से ही तुममें लोपित प्रत्येक गुण दिखता है।।

    जवाब देंहटाएं
  3. अब ना ही तुम्हारा कोई आलस, ना ही कोई भी गुण नष्ठ दिखता है।
    ऐ कवि, अब तुम्हारे काव्यों से ही तुममें लोपित प्रत्येक गुण दिखता है।।

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