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शनिवार, 25 अप्रैल 2020

कच्ची कविताएँ

कच्ची कविताएँ

मुझे मेरी लिखीं 
कविताएँ 
बहुत ही पसंद हैं 
क्योंकि 
वे 
कच्ची हैं!
खट्टी हैं!
बिल्कुल 
कच्चे आम की तरह

और

अब मैं 
ढ़ेला मारूँगा 
आम के उस पेड़ पर 
खा जाऊँगा 
सारे के सारे कच्चे आम 
नमक के साथ 
फिर लिखूँगा 
ऐसी ही असंख्य 
कच्ची कविताएँ

©शुभम कहता है...



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