यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 2 नवंबर 2018

रश्मि-राग

        जो कुछ भी लिखा मैंने, ये केवल इक बहाना है,
        वो जिस दरिया में उतरे थे ,उसी के पार जाना है।
        मैं जिनमें डूब जाता हूँ ,उसी नदिया सी नर्गिस से
        तुम्हारा प्यार पाना था, तुम्हारा प्यार पाना है...❤

       ©शुभम कहता है...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

राधे-राधे!

रश्मि-राग

जग की प्रेम निशानी हो तुम राधिके कान्हा की ही दीवानी हो तुम राधिके      जिनमें घुल के कन्हैया भी उज्जवल हुए ऐसी यमुना का पानी हो तुम...