यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 6 नवंबर 2018

रश्मि-राग

       मोहब्बत में मैं उसकी, अब नुमाइश खूब पाता हूँ,
       नवाज़िश से मैं उसकी, अब थोड़ा ऊब जाता हूँ।
       हमारा प्यार जीता है , उन्हीं दरिया सी आँखों में
       मैं जिनमें डूब जाता था , उन्हीं में डूब जाता हूँ...❤

       ©शुभम कहता है...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

राधे-राधे!

रश्मि-राग

जग की प्रेम निशानी हो तुम राधिके कान्हा की ही दीवानी हो तुम राधिके      जिनमें घुल के कन्हैया भी उज्जवल हुए ऐसी यमुना का पानी हो तुम...